“यदि भाग्य और कर्म प्रबल हों, तो सब कुछ अनुकूल होता है!”

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श्रीपाल और मैनासुंदरी की कथा के अगले भाग में नवपद आराधना और उत्तम कर्मों के प्रभाव से श्रीपाल और धवलशेठ की भेंट होती है। श्रीपाल का भाग्य और कर्म इतने बलवान होते हैं कि उसके जीवन में सभी घटनाएँ अनुकूल रूप से घटती हैं। श्रीपाल का विवाह राजकुमारियों मदनसेना और रत्नमंजुषा से होता है। धवलशेठ एक संकट में फँस जाता है, तब श्रीपाल उसकी सहायता करता है और बदले में धवलशेठ उसे २५० जहाजों की भेंट देता है। यह अत्यंत रोचक कथा पूज्य नीलेशप्रभा म.सा. द्वारा सुनाई गई।
धवलशेठ के ५०० जहाज समुद्र में फँस जाते हैं। ज्योतिषी कहते हैं कि उन्हें छुड़ाने के लिए किसी अनजान व्यक्ति की बलि देनी होगी। राजा के सैनिक श्रीपाल को पकड़कर लाते हैं। श्रीपाल बलि देने को तैयार होता है, लेकिन वह मन से नवपद आराधना करता है। उसके पुण्यबल से जहाज स्वतः ही निकल आते हैं। इस कार्य के लिए श्रीपाल को स्वर्ण मुद्राओं की भेंट मिलती है। उसी समय कर न भरने के कारण धवलशेठ को राजा द्वारा बंदी बना लिया जाता है। उसके रक्षक सैनिक भाग जाते हैं। श्रीपाल फिर प्रयास करता है और धवलशेठ को छुड़ाता है। बदले में धवलशेठ उसे २५० जहाजों की भेंट देता है। इसके बाद राजा श्रीपाल का सम्मान करता है और उसका विवाह राजकुमारी मदनसेना से करवा देता है। विवाह के बाद श्रीपाल ससुर की अनुमति लेकर आगे की यात्रा पर निकलता है।
कनककेतु राजा की नगरी में पहुँचने पर एक हाथी बेकाबू हो जाता है। श्रीपाल उसे वश में कर लेता है। पूर्व में मुनियों ने भविष्यवाणी की थी कि “जो युवक मदमस्त हाथी को वश में करेगा, वही राजकुमारी रत्नमंजुषा का पति बनेगा।” भविष्यवाणी के अनुसार रत्नमंजुषा का विवाह भी श्रीपाल से होता है। इस बीच धवलशेठ फिर कर न देने के कारण कनककेतु राजा द्वारा बंदी बना लिया जाता है, लेकिन श्रीपाल फिर उसकी रक्षा करता है। इस प्रकार श्रीपाल अपनी दोनों पत्नियों मदनसेना और रत्नमंजुषा के साथ आगे की यात्रा पर निकलता है। यात्रा के दौरान वह उन्हें अपनी सच्ची पहचान बताता है और चंपापुरी नगरी तथा अपनी पहली पत्नी मैनासुंदरी के बारे में जानकारी देता है। खाली हाथ यात्रा पर निकला श्रीपाल आज भाग्य, कर्म और पुरुषार्थ के बल पर सुख, संपत्ति और संतोष से परिपूर्ण जीवन यात्रा कर रहा है। अंततः सभी लोग आनंदित और संतुष्ट होते हैं। इस कथा का अगला भाग कल के प्रवचन में बताया जाएगा।- (अक्टूबर ०१,२०२५
जलगांव)