✒️रायपूर(पुरोगामी न्यूज नेटवर्क)
रायपुर(दि.14फेब्रुवारी अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कुछ किसान संगठनों के दिल्ली चलो मार्च को रोकने के लिए शंभू बॉर्डर पर सेना तैनात करने, किसानों पर लाठीचार्ज करने, रबर बुलेट से मारने, ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़ने और सामूहिक गिरफ्तारी जैसे दमनात्मक कार्यवाही करने की कड़ी निंदा की है और 16 फरवरी को गांवों में विरोध प्रदर्शनों का आह्वान किया है। इस दिन संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा देशव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक हड़ताल का भी आह्वान किया गया है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कहा है कि अपनी मांगों को लेकर संसद पर प्रदर्शन करना हर नागरिक और संगठन का लोकतांत्रिक अधिकार है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों और समुदायों के ज्वलंत मुद्दों को हल करे और उनकी आजीविका की रक्षा के लिए ठोस समाधान करे। आम जनता के इस अधिकार पर किसी भी सरकार के दमन को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
किसान सभा नेता ने आरोप लगाया है कि बातचीत करके समस्या का समाधान निकालने की जगह मोदी सरकार देश के किसानों के साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार कर रही है। ड्रोन के जरिए आंसू गैस के गोले गिराना इसी बात का सबूत है। यह सरकार अपने जुमलों के लिए कुख्यात है और वादाखिलाफी उसके चरित्र में है। वर्ष 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था कि किसानों को सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देंगे, पिछले वर्ष इसी मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा के साथ उन्होंने लिखित समझौता किया था, लेकिन अपने वादे और समझौते को उन्होंने आज तक पूरा नहीं किया है। इस वादाखिलाफी के कारण मोदी सरकार ने आम जनता का विश्वास खो दिया है।
किसान सभा ने आह्वान किया है कि किसान आंदोलन पर इस भारी दमन और मोदी सरकार की किसान विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी को आहूत ग्रामीण बंद को सफल बनाएं और गांव-गांव में विरोध प्रदर्शन आयोजित करें। संयुक्त किसान मोर्चा ने भी मोदी सरकार की किसान विरोधी, कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों और किसान आंदोलन पर इस बर्बर दमन के खिलाफ व्यापक एकता कायम करने की अपील की है।
*Kisan Sabha strongly condemn the repression on farmers on Shambhu border, said: Modi government should solve the problems of farmers, call 16th to protest*
Raipur. Chhattisgarh Kisan Sabha, affiliated to the All India Kisan Sabha, has strongly condemned the brutal attack on the Delhi Chalo March of some farmer organization. To stop the farmers March towards Delhi, Modi government deploy the army on Shambhu border, lathi -charged, rubber bullets, leaving tear gas shells and collective arrests. Against this brutal action, Kisan sabha called on protests in villages on 16 February. On this day, nationwide rural shutdown and industrial strike have also been called by the Sanyukt Kisan Morcha and the United Forum of Trade Unions.
In a statement issued here today, Sanjay Parate, convenor of Chhattisgarh Kisan Sabha, has said that demonstration on Parliament on his demands is the democratic right of every citizen and organization. It is the responsibility of the government to solve the burning issues of citizens and communities and make concrete solutions to protect their livelihood. The suppression on this right of the people by any government cannot be accepted.
The Kisan Sabha leader has alleged that instead of negotiating, the Modi government is treating the farmers of the country like enemies. This is proof of this to drop tear gas shells through drones. This government is notorious for its jumlas and the voilation of promise is in its character. In the 2014 elections, Prime Minister Modi promised that he would give a support price of one and a half times the C2 cost to the farmers, last year he had made a written agreement with the Sanyukt Kisan Morcha on the same issue, but he dose not fulfilled his promises and agreement till date. Due to this, the Modi government has lost the trust of the people.
The Kisan Sabha has called for village level demonstrations against this huge repression on the peasant movement and the Modi government’s anti -farmer and pro-corporate policies on 16 February to make the rural bandh successful and organize protests in the village village. Samyukta Kisan Morcha has also appealed for broad unity against the anti-farmer, pro-corporate policies of the Modi government and this barbaric repression on the farmers’ movement.